पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और संवर्द्धन के मकसद से हर साल होने वाली सारस गणना के नतीजे सामने आये

बालाघाट
पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण और संवर्द्धन के मकसद से हर साल होने वाली सारस गणना के नतीजे सामने आ गए हैं। दो राज्यों के तीन जिलों में हुई इस गणना में बालाघाट जिले में इस बार भी सर्वाधिक 45 सारस मिले हैं। हालांकि, पिछले साल की गणना की तुलना में इस बार तीन सारस कम मिले हैं।

बीते साल 48 सारस थे बालाघाट में
2023 की गणना में बालाघाट में कुल 48 सारस मिले थे। महाराष्ट्र के गोंदिया में इस गणना में 28 और भंडारा में चार सारस मिले हैं। वन्यजीव प्रेमी रवि पालेवार ने बताया कि सेवा संस्था के अध्यक्ष सावन बहेकार व सारस संरक्षण प्रकल्प प्रभारी सेवा संस्था सदस्य के मार्गदर्शन, उत्तर-दक्षिण वन मंडल बालाघाट, जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद, बालाघाट एवं सारस मित्रों के सहयोग से सारस गणना-2024 हुई है। करीब छह दिनों तक चली इस गणना में बालाघाट जिले में लगभग 70 जगहों पर सेवा संस्था के सदस्य, किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग बालाघाट के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा सारस गणना को अंजाम दिया। बालाघाट में गणना के लिए बनाई गई 25 टीमें जानकारी के अनुसार, बालाघाट जिले में सारस गणना के लिए 25 टीम बनाई गई थी। हर प्रत्येक में करीब चार सदस्य थे, जिन्होंने सारस के विश्रांती स्थल पर सुबह पांच से नौ बजे तक विविध स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की।

पालेवार ने बताया कि सारस मित्र साल भर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए उपयुक्त भ्रमण मार्ग का सर्वे करते हैं। सारस पक्षी के अधिवास के आसपास रहने वाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है। स्कूल, कॉलेजों में विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं सारस संवर्धन एवं संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है। सारस के जोड़े अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों राज्यों में समान रूप से विचरण करते हैं।

60 से ज्यादा स्थानों में पहुंची टीम
बालाघाट जिले में 25 टीम के सदस्यों ने 60 से ज्यादा स्थानों पर प्रकल्प प्रभारी सावन बहेकार के मार्गदर्शन में गणना की। आंकड़ों की विश्वसनीयता एवं सारस की उपस्थिति पर संदेह की गुंजाइश न रहे, इसके लिए 26 से 30 जून तक रोज सुबह एवं शाम सभी सारस अधिवास पर जाकर सारस की स्थिति का जायजा लिया गया, जिसमें खेत, तालाब, नदियों पर जाकर स्थानीय लोगों से भी चर्चा भी की गई। महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में 23 जून को सेवा संस्था सदस्य, वन विभाग गोंदिया, किसान, सारस मित्र के सहयोग से 31 टीम के सदस्यों ने करीब 80 स्थानों पर सारस गणना की। भंडारा जिले में भी 23 जून को ही वन विभाग भंडारा, सेवा संस्था, सारस मित्रों के सहयोग से 30 टीम बनाकर सारस गणना को अंजाम दिया गया।

वार्षिक सारस गणना में इनका रहा योगदान
सारस गणना अभियान में कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, डीएफओ अभिनव पल्लव का सहयोग प्राप्त हुआ। इस अभियान में सेवा संस्था से सावन बहेकार, अविजित परिहार, एसडीओ विनिता बामणे, वन परिक्षेत्र अधिकारी धर्मेंद्र बिसेन, जिला पुरातत्व एवं संस्कृति परिषद, रवि पालेवार, अभय कोचर, खगेश कावरे, शशांक लाडेकर, कन्हैया उदापुरे, डिलेश कुसराम, विशाल कटरे, प्रशांत मेंढे, प्रवीण मेंढे, विकास फरकुंडे, बबलू चुटे, मधु डोये, नीलू डोये, कैलाश हेमने, लोकेश भोयर, पप्पू बिसेन, बसंत बोपचे, राहुल भावे, रतिराम क्षीरसागर, निशांत देशमुख, सिकंदर मिश्रा, श्री नखाते, प्रवीण देशमुख, अमित बेलेकर, पवन सोयम सहित अन्य का अहम योगदान रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button