पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बात कर इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की थी कि उन्हें पार्टी में हाशिए पर धकेला जा रहा
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नई दिल्ली
वरिष्ठ सांसद शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी के रिश्तों में इन दिनों कड़वाहट देखने को मिल रही है। हाल ही में उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बात कर इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की थी कि उन्हें पार्टी में हाशिए पर धकेला जा रहा है। इस बीच उन्होंने अपनी पार्टी को साफ-साफ कहा है कि उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि शशि थरूर के पास विकल्प नहीं हैं। थरूर ने कहा कि तिरुवनंतपुरम से चार बार सांसद चुने जाने से पता चलता है कि राज्य और देश के विकास के बारे में स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करने के उनके अधिकार का लोगों ने समर्थन किया है। थरूर ने कहा कि वह पार्टी के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन अगर कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है तो उनके पास विकल्प हैं।
शशि थरूर ने केरल कांग्रेस में नेतृत्व की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "पार्टी के भीतर नेतृत्व की कमी एक गंभीर समस्या है। यदि कांग्रेस अपनी सीमित वोटबैंक से ही काम करती रही, तो उसे केरल में तीसरी बार विपक्ष में बैठने का सामना करना पड़ेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपनी अपील को बढ़ाना होगा, क्योंकि पार्टी केवल अपनी 'समर्पित वोटबैंक' के सहारे सत्ता में नहीं आ सकती है।
शशि थरूर ने कहा कि उन्हें तिरुवनंतपुरम में जो समर्थन मिला है वह इसके उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है कि "लोग मुझे पसंद करते हैं, क्योंकि वे मुझे अलग ढंग से बोलने और व्यवहार करने के लिए मान्यता देते हैं। यही हम 2026 में चाहते हैं।" शशि थरूर ने कहा, "स्वतंत्र सर्वे ने भी यह दिखाया है कि मैं केरल में नेतृत्व के मामले में दूसरों से आगे हूं। अगर पार्टी मुझे उपयोग करना चाहती है तो मैं पार्टी के लिए मौजूद रहूंगा। यदि नहीं तो मेरे पास अपने अन्य कार्य हैं। मुझे यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है।"
हालांकि शशि थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पार्टी बदलने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उनका मानना है कि अगर किसी से पार्टी से असहमत है तो उसे पार्टी बदलने का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, "मेरे पास किताबें हैं। भाषण देने के लिए निमंत्रण हैं। अन्य कार्य हैं।" शशि थरूर ने कहा कि पार्टी के कार्यसमिति (CWC) में सदस्य बनने के बाद उन्होंने इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं देखा। थरूर ने कहा, "CWC में 100 लोग होते हैं। यह अब किसी छोटे समूह जैसा नहीं रहा। बैठकें एक बड़ी कॉन्फ्रेंस की तरह होती हैं न कि एक सामान्य समिति की बैठक की तरह।"