एम्स भोपाल ने सफलतापूर्वक किया एक और किडनी प्रत्यारोपण …

एम्स के डायरेक्टर प्रो. सिंह ने कहा, "यह सफल प्रत्यारोपण हमारे चिकित्सा दल की विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण है। अंग प्रत्यारोपण एक जीवनरक्षक प्रक्रिया है, और हम एम्स भोपाल में मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य अंगदान को बढ़ावा देना भी है, जिससे अनगिनत जिंदगियों को बचाया जा सके।

भोपाल [जनकल्याण मेल] एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में, संस्थान ने एक और सफल किडनी प्रत्यारोपण कर उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया। यह प्रत्यारोपण रायसेन जिले के उदयपुरा निवासी 32 वर्षीय व्यक्ति पर किया गया, जिसे उसकी 52 वर्षीय माँ ने अपनी किडनी दान की। डोनर की नेफ्रेक्टॉमी (किडनी निकालने की प्रक्रिया) एक अत्याधुनिक न्यूनतम इनवेसिव लैप्रोस्कोपिक तकनीक के माध्यम से की गई। इससे डोनर को कम दर्द हुआ और उसकी रिकवरी तेजी से हुई। पूरी सर्जरी छह घंटे तक चली, और प्रत्यारोपण के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है एवं उसकी किडनी सामान्य रूप से कार्य कर रही है। यह उपलब्धि प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में एम्स भोपाल के एक मजबूत ट्रांसप्लांट कार्यक्रम विकसित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर प्रो. सिंह ने कहा, “यह सफल प्रत्यारोपण हमारे चिकित्सा दल की विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण है। अंग प्रत्यारोपण एक जीवनरक्षक प्रक्रिया है, और हम एम्स भोपाल में मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य अंगदान को बढ़ावा देना भी है, जिससे अनगिनत जिंदगियों को बचाया जा सके।” इस प्रत्यारोपण प्रक्रिया को विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक कुशल टीम द्वारा पूरा किया गया। नेफ्रोलॉजी विभाग से डॉ. महेंद्र अटलानी ने मरीज की सर्जरी से पहले और बाद की देखभाल का प्रबंधन किया, जबकि सर्जिकल टीम में डॉ. देवाशीष कौशल, डॉ. माधवन, डॉ. केतन मेहरा और डॉ. निकिता श्रीवास्तव (यूरोलॉजी विभाग से) शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम से डॉ. वैशाली वेंडेसकर, डॉ. शिखा जैन और डॉ. हरीश शामिल थे, जिन्होंने सर्जरी को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंगदान को बढ़ावा देने के लिए, एम्स भोपाल ने किडनी प्रत्यारोपण के अगले ही दिन ‘किरण फाउंडेशन’ के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाना और ब्रेन-डेड मरीजों के परिवारों को परामर्श प्रदान करना है, जिससे कैडेवरिक (मृत शरीर से प्राप्त अंगों द्वारा) प्रत्यारोपण कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, एम्स भोपाल अब बाल चिकित्सा (पीडियाट्रिक) किडनी प्रत्यारोपण की तैयारी कर रहा है, जिससे अंतिम चरण की किडनी विफलता (एंड-स्टेज किडनी डिजीज) से जूझ रहे बच्चों को जीवनरक्षक उपचार प्रदान किया जा सके। एक विशेषज्ञ डॉक्टरों की समर्पित टीम और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं के साथ, एम्स भोपाल अब बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान करने की योजना बना रहा है। यह पहल उन बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार लाएगी, जिन्हें किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है और एम्स भोपाल को अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में पहचान दिलाएगी।

 

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