क्रांतिसूर्य टंट्या भील का 135वां बलिदान दिवस मनाया गया

भोपाल

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा और जनजातीय समुदाय के महानायक क्रांतिसूर्य टंट्या भील जी के 135वें बलिदान दिवस के अवसर पर बुधवार को खंडवा जिले के पंधाना विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बड़ोदा अहीर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह कार्यक्रम में शामिल हुए और टंट्या मामा का पुण्य स्मरण कर उनकी आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर पंधाना की विधायिका श्रीमती छाया मोरे, जिला पंचायत खंडवा के उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह, पंधाना की जनपद पंचायत अध्यक्षा श्रीमती सुन्नी बाई सहित ग्राम सरपंच एवं अन्य स्थानीय जन-प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में स्कूली छात्राओं द्वारा टंट्या मामा की याद में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। बच्चों और बड़ों सभी ने "टंट्या मामा अमर रहे" के नारे लगाये।

जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने टंट्या मामा के जीवन और उनके योगदान को याद करते हुए कहा, "टंट्या मामा ने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के खिलाफ जनजातीय समुदाय को संगठित कर आवाज उठाई। उन्होंने गुरिल्ला युद्धकला का सहारा लिया और गरीबों की मदद के लिए अमीरों से अतिरिक्त धन लेकर गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों का आर्थिक सहयोग किया। उनके इन्हीं कार्यों ने उन्हें जनजातीय समुदाय का महानायक बना दिया।"

टंट्या मामा को देश में "इंडियन रॉबिनहुड" के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 26 जनवरी 1842 को खंडवा जिले के पंधाना ब्लॉक के ग्राम बड़ोदा अहीर में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों का सक्रिय होकर विरोध किया। विरोधी गतिविधियों में मुखर होने के कारण ब्रिटिश शासन ने 4 दिसंबर 1889 को उन्हें गिरफ्तार कर जबलपुर में फांसी दे दी थी। इसीलिये हर वर्ष 4 दिसंबर को टंट्या मामा का बलिदान दिवस मनाया जाता है। उनकी समाधि पातालपानी में स्थापित है, जो जनजातीय समुदाय और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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