रीढ़ की समस्याओं को लेकर जन जागरूकता फैलाना आवश्यकः महेन्द्र सिंह मरपच्ची

मनेन्द्रगढ़
आप सभी भली भाँती जानते होंगे की आज विश्व रीढ़ दिवस  (World Spine Day)  है और इसको हर वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य रीढ़ की हड्डी और इससे जुड़ी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना रहता है। रीढ़ हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल हमें सहारा देता है बल्कि पूरे शरीर की संरचना और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। आधुनिक जीवनशैली, तनावपूर्ण दिनचर्या और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण रीढ़ से जुड़ी समस्याएं आज आम हो गई हैं। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य रीढ़ से संबंधित समस्याओं की रोकथाम, इलाज और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है।
इस विश्व रीढ़ दिवस की शुरुआत 2008 में हुई थी, जब वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ चिरोप्रैक्टिक (World Federation of Chiropractic)  ने पहली बार इसे मनाने की पहल की। इसका उद्देश्य रीढ़ से जुड़ी बीमारियों और विकारों, जैसे पीठ दर्द, गर्दन दर्द, साइटिका आदि के प्रति जागरूकता फैलाना है । 2012 में इसे बोन एंड जॉइंट डिकेड  (Bone and Joint Decade)   की एक पहल के रूप में अपनाया गया और आधिकारिक रूप से इसे हर साल मनाया जाने लगा। इसका मुख्य उद्देश्य रीढ़ की हड्डी से संबंधित विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इन विकारों से निपटने के लिए सही उपचार और रोकथाम के तरीके सिखाना है। इस दिवस के माध्यम से स्वास्थ्य विशेषज्ञ और संगठनों का लक्ष्य यह है कि लोग रीढ़ की सेहत के महत्व को समझें और अपनी दिनचर्या में इसे प्राथमिकता दें। रीढ़ की देखभाल करना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर आवश्यक है, बल्कि यह समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि रीढ़ से जुड़ी समस्याओं के कारण कई लोग अपनी दैनिक गतिविधियों में कठिनाई का सामना करते हैं। रीढ़ की हड्डी शरीर की आधारशिला है। यह हमारे शरीर के ढांचे को बनाए रखने में मदद करती है और तंत्रिका तंत्र  (nervous system)  का एक मुख्य भाग है। यह न केवल हमारे शरीर को लचीलापन और गतिशीलता प्रदान करती है, बल्कि मस्तिष्क से संदेशों को शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने का काम भी करती है। रीढ़ की हड्डी 33 कशेरुकाओं (vertebrae) से बनी होती है, जिनमें से प्रत्येक का अपना कार्य और महत्व होता है।
रीढ़ की हड्डी पूरे शरीर का समर्थन करती है और खड़े होने, बैठने और झुकने जैसे कार्यों में मदद करती है। यह हमारी शारीरिक संरचना को संतुलन और स्थिरता प्रदान करती है। रीढ़ के भीतर की स्पाइनल कॉर्ड (spinal cord)  तंत्रिका तंत्र का एक प्रमुख हिस्सा है, जो मस्तिष्क से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक संदेश पहुंचाती है। यह संचार प्रणाली हमारे शरीर के सभी अंगों को मस्तिष्क से जोड़ने में मदद करती है। रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर को झुकने, मुड़ने और अन्य विभिन्न प्रकार की गतियों को करने में सक्षम बनाती है। इसके बिना हम चलने-फिरने और शारीरिक गतिविधियों को ठीक से नहीं कर सकते।
यह रीढ़ की संरचना को प्रभावित कर सकता है और स्लिप डिस्क, पीठ दर्द, गर्दन दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। जो लोग दिन भर बैठे रहते हैं या जिनकी शारीरिक गतिविधि कम होती है, उनमें रीढ़ की समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। शारीरिक गतिविधियों की कमी से मांसपेशियों और जोड़ों में कमजोरी आ जाती है, जिससे रीढ़ पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और यह दर्दनाक हो सकता है। अधिक वजन होने से रीढ़ की हड्डी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। मोटापे के कारण रीढ़ और उसके आसपास की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे पीठ दर्द, डिस्क की समस्याएं और अन्य रीढ़ संबंधी विकार हो सकते हैं। आप जानते होंगे की स्कोलियोसिस (scoliosis) जैसी विकार से रीढ़ की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, और उनके इलाज में विशेष ध्यान देना पड़ता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, रीढ़ की हड्डियों में प्राकृतिक रूप से कमजोरी आने लगती है। उम्र के साथ, रीढ़ की डिस्क्स में पानी की मात्रा कम होने लगती है, जिससे उनकी लचीलापन और कुशनिंग क्षमता कम हो जाती है। इससे पीठ दर्द, हर्निएटेड डिस्क, और साइटिका जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जिससे स्लिप डिस्क और अन्य रीढ़ संबंधी विकार हो सकते हैं। खासकर जब बिना सही तकनीक के भारी वस्तुएं उठाई जाती हैं, तो रीढ़ को अत्यधिक दबाव सहन करना पड़ता है।
रीढ़ की हड्डी के कमजोर होने के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैंरू जिसमें पीठ दर्द  (Back Pain) यह सबसे सामान्य लक्षण है, जो रीढ़ की हड्डी की समस्याओं की ओर संकेत करता है। यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर हो सकता है और लंबे समय तक बना रह सकता है। मांसपेशियों में कमजोरी  (Muscle Weakness) रीढ़ की हड्डी की कमजोरी से शरीर के विभिन्न हिस्सों में मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है, खासकर पीठ और पैरों में। झनझनाहट और सुन्नता  (Tingling and Numbness) रीढ़ की समस्याओं के कारण तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ सकता है, जिससे हाथों और पैरों में झनझनाहट या सुन्नता हो सकती है। संतुलन में कठिनाई (Difficulty in Balance) रीढ़ की हड्डी में कमजोरी या दर्द होने पर चलने, खड़े होने या अन्य गतिविधियों में असंतुलन महसूस हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसेः- सही तरीके से बैठना, खड़ा होना और सोना रीढ़ की हड्डी की सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से बचें और समय-समय पर अपनी स्थिति बदलें। कंप्यूटर के सामने बैठते समय रीढ़ को सीधा रखें और अपनी कुर्सी का इस्तेमाल सही तरीके से करें। नियमित रूप से व्यायाम करना रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। स्ट्रेचिंग, योग, और तैराकी जैसी गतिविधियाँ रीढ़ की लचीलापन और मांसपेशियों की मजबूती को बढ़ाती हैं। इससे रीढ़ पर दबाव कम होता है और दर्द से राहत मिलती है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button