क्‍या एक और टुकड़े में टूटेगा पाकिस्‍तान? एक्सपर्ट्स दे रहे वॉर्निंग

इस्लामाबाद
 पाकिस्तान के बलोचिस्तान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन देखा जा रहा है। बलोच एक्टिविस्ट महरंग बलोच ने ग्वादर में प्रदर्शन पर बैठ गई हैं। पाकिस्तानी अधिकारी उन्हें हटाने में लगे हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बलूचों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार बंदूकों के जरिए उन्हें डराना चाहती है, लेकिन वह ऐसा नहीं होने देंगे। बलूचों का आरोप है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर बलोचिस्तान के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं। वहीं कई एक्सपर्ट्स इसे ऐसे प्रदर्शन के तौर पर देख रहे हैं, जिसने पूर्वी पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश बना दिया था। पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा ने इस मुद्दे पर बैरिस्टर हामिद बशानी से बात की।

हामिद बशानी ने कहा कि ऐसे प्रदर्शन हमेशा होते रहे हैं, जो लीडरशिप को बदलते रहे हैं। आज के समय कई प्रदर्शन महिलाएं लीड कर रही हैं और ऐसा ही कुछ हमें बलोचिस्तान में देखने को मिलता है। उन्होंने आगे कहा, 'बलोचिस्तान की पॉलिटिस में बहुत कुछ बदल रहा है। महिलाओं और युवाओं को आगे किया जा रहा है, जो कि सॉफ्ट बेस हैं। बलोचिस्तान की कई छात्राएं मारी गई, अरेस्ट हुईं और प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जो कुछ नया नहीं है।'

बलोचिस्तान अपने हक की बात कर रहा

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कोई भी प्रदर्शनकारी सरकार की बातचीत पर विश्वास नहीं करता। क्योंकि प्रदर्शन खत्म करने के लिए सरकार की ओर से लिखित में भी शर्तें मान ली जाती हैं। लेकिन बाद में वह पलट जाते हैं। उन्होंने कहा, 'बलोचिस्तान के प्रदर्शन में अगर उनकी मांगें देखी जाएं तो वह कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे न माना जाए। वह अपने हक की बात कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान में लोग उसे खुद से ऐसा मान रहे हैं, जैसे बलूचों ने खुद को अलग करने की मांग कर ली है।'

क्यों बंदूक उठाते हैं बलूची

बशानी ने आगे कहा कि हमारे लोकतंत्र में बलोचिस्तान है। लेकिन इसे यह हक नहीं दिया गया कि वह खुद का फैसला कर सके। हर किसी को पता है कि यह कठपुतली सरकार है। कमर चीमा ने पूछा कि जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें से कई लोगों के परिवार वालों ने सरकार के खिलाफ बंदूक उठा रखी है। इसे लेकर बशानी ने कहा, 'बलोचिस्तान में कोई भी सरकार सेना की मर्जी के बिना नहीं चलती। तो फिर बातचीत का मुद्दा ही खत्म हो जाता है, इस कारण वो बंदूक उठाते हैं। अगर बातचीत के बाद वो बंदूक रख देते हैं तो बाद में धोखे से मार दिए जाते हैं।'

बांग्लादेश जैसा होगा हाल?

उन्होंने कहा, 'बलूचिस्तान को इतनी आजादी दी जाए कि वह खुद का फैसला ले सके तो कोई दिक्कत नहीं होगी। इसमें समस्या ये है कि सरकार को लगता है कि पाकिस्तान विरोधी लोग सदन में आएंगे और ऐसे फैसले लेंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएंगे। यह बांग्लादेश वाली बात है। वह भी अपने हक और सरकार मान रहे थे। आपने पहले ही सोच कर रखा होता है कि आपको नहीं मानना, जिसके नुकसान बाद में देखने पड़ते हैं।'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button