पाक जमीन का विवाद शिया-सुन्नी दंगे में बदला, मिसाइल-रॉकेट तक चले; 49 मर गए बीमारी से जूझ रहा यह तानाशाह

इस्लामाबाद

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में जमीन के एक टुकड़े के लिए छिड़ा विवाद दंगे में बदल गया। यह विवाद मालीखेल और मडाकी जनजातियों के बीच था, जिनमें से एक इस्लाम के सुन्नी मत को मानती है तो वहीं दूसरी जनजाति शिया पंथ की अनुयायी है। जमीन का यह विवाद सांप्रदायिक दंगे में तब्दील हो गया और इसमें अब तक 49 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 177 लोग घायल हुए हैं। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ भी सकती है क्योंकि तमाम घायल लोगों की हालत नाजुक है।

यह दंगा इतना भीषण था कि इसमें दोनों समूहों की ओर से ऑटोमेटिक गन, रॉकेट, मोर्टार और कम रेंज की मिसाइलें तक चलाई गईं। इस दंगे के चलते पाराचिनार-पेशावर हाईवे भी बंद करना पड़ा। इसके चलते लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है। पुलिस प्रशासन का कहना है कि यह विवाद कुर्रम जिले के बोशेरा गांव से शुरू हुआ था, लेकिन देखते ही देखते पूरे जिले में हिंसा भड़क उठी। यह सांप्रदायिक दंगा लगातर 6 दिनों तक चला और सोमवार की शाम को दोनों कबीलों के बुजुर्गों के दखल के बाद किसी तरह सीजफायर पर सहमति बनी है।

पूरे जिले में भड़का तनाव, हाईवे और स्कूल बंद करने पड़े

अब भी इस दंगे का असर जिले में है और आसपास के इलाकों में भी तनाव है। ऐसी स्थिति में अनिश्चितकाल के लिए स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों को बंद कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विवाद को सुलझाने का कबीले के बुजुर्गों ने कई बार प्रयास किया था, लेकिन बात नहीं बन सकी। पुलिस सूत्रों ने कहा कि कबीलों के बीच यह संघर्ष लगातार 6 दिन चलने के बाद सोमवार शाम को थम सका। हालांकि अब भी निचले कुर्रम में अब भी रुक-रुक कर हिंसक घटनाएं हो रही हैं। दोनों ही तरफ से अब भी फायरिंग चल रही है।

हिंदू, ईसाई के साथ शिया और अहमदिया भी हिंसा के शिकार

पाकिस्तान में अकसर हिंदू, ईसाई और सिखों के अलावा इस्लाम को ही मानने वाले शिया और अहमदिया भी हिंसा का शिकार होते रहे हैं। यह विवाद शुरुआत में जमीन के लिए ही था, लेकिन देखते ही देखते सांप्रदायिक माहौल बन गया। यह हिंसा तब और भड़की, जब दोनों तरफ से भारी हथियारों का इस्तेमाल होने लगा।

 

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