भारत के 17वें सबसे अमीर व्यक्ति होने के बावजूद दान के मामले में प्रेमजी सबसे आगे हैं
नई दिल्ली
भारत की तीसरी सबसे बड़े IT कंपनी विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी अपनी सादगी और दरियादिली के लिए जाने जाते हैं। 79 साल के प्रेमजी एक समय भारत के सबसे अमीर व्यक्ति थे। 2019 में उन्होंने विप्रो में अपने 67 फीसदी शेयर दान कर दिए थे। इसकी कीमत आज 1.45 लाख करोड़ रुपये है। प्रेमजी नियमित रूप से अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान करते हैं। वह शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। एक बार विप्रो के सीईओ टीके कुरियन को प्रेमजी का फोन आया। उन्होंने विप्रो के ऑफिस में इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट पेपर की कीमत पूछी। यह सुनकर कुरियन हैरान रह गए। यह घटना प्रेमजी की सूक्ष्म दृष्टि और मितव्ययिता को दर्शाती है।
प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी 'बर्मा के राइस किंग' के नाम से मशहूर थे। 1966 में पिता के निधन के बाद 21 साल की उम्र में प्रेमजी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर पारिवारिक व्यवसाय संभालने भारत लौट आए।
उन्होंने 'वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड' (WVPL) का नाम बदलकर विप्रो कर दिया। उनके नेतृत्व में विप्रो ने IT, हार्डवेयर, टॉयलेटरीज जैसे क्षेत्रों में विविधता हासिल की। आज 2.65 लाख करोड़ रुपये के मार्केटकैप के साथ यह भारत की तीसरी सबसे बड़ी IT कंपनी है।
दान के मामले में सबसे आगे
भारत के 17वें सबसे अमीर व्यक्ति होने के बावजूद दान के मामले में प्रेमजी सबसे आगे हैं। 2023 में उन्होंने और उनके परिवार ने 1,774 करोड़ रुपये का दान दिया जो 2022 की तुलना में 267 फीसदी अधिक है। उनका फाउंडेशन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल कक्षाओं और वंचित बच्चों के लिए छात्रवृत्ति का समर्थन करता है।
2019 में प्रेमजी ने अपनी फाउंडेशन को विप्रो के 67 फीसदी शेयर डोनेट कर दिए जिसकी कीमत तब 50,000 करोड़ रुपये थी और अब 1.45 लाख करोड़ रुपये है। 2024 में अजीम प्रेमजी 10043 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ फोर्ब्स की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 165वें स्थान पर हैं।
मारुति एस्टीम से आने पर गार्ड ने रोक लिया था
प्रेमजी की सादगी मिसाल है। अपनी BPO कंपनी विप्रो को बेचने वाले रमन रॉय ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि एक गार्ड ने प्रेमजी को कंपनी के अंदर नहीं जाने दिया था। वह एक साधारण मारुति एस्टीम में आए थे। गार्ड को यकीन नहीं हो रहा था कि करोड़पति ऐसी कार चलाएगा। प्रेमजी की विनम्रता उनके व्यवहार में भी झलकती है।
विप्रो के एक पूर्व कर्मचारी नितिन मेहता के हवाले से इसी मीडिया संस्थान ने बताया कि एक ट्रिप के दौरान प्रेमजी ने अपने परिवार और एक सहकर्मी के साथ मारुति वैन साझा करने पर जोर दिया। साथ ही यह भी कहा कि वे किसी और से अलग नहीं हैं। हमें एहसास होना चाहिए कि हम हर तरह से बाकी सभी की तरह ही हैं। अजीम प्रेमजी का जीवन इस बात का प्रमाण हैं कि सादगी और उदारता किस प्रकार अपार सफलता और धन के साथ रह सकते हैं। उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपने जीवन में सादगी और दान को अपनाएं।