…अब एम्स भोपाल में अंडमान से भी आ रहे इलाज कराने

भोपाल [जनकल्याण मेल] एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह के प्रयासों से पिछले दो वर्षों से एम्स भोपाल पर लोगों का भरोसा बढ़ता ही जा रहा है। यहां केवल मध्य प्रदेश के शहरों से ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों के अलावा दूर दराज के इलाकों यहां तक कि अंडमान से भी लोग इलाज के लिए एम्स भोपाल का रुख कर रहे हैं। अगर हम केवल कैंसर विभाग के सर्जिकल ऑंकोलॉजी की बात करें, तो पिछले दो वर्षों में ओपीडी में मरीजों की संख्या 7500 से बढ़कर 15000 हो गई है। वहीं वार्ड में भर्ती के मामले ढाई गुना बढ़कर साढ़े तीन हजार हो गए हैं। जबकि इसी दौरान सर्जरी के केस भी दोगुने होकर 1000 से अधिक हो गए हैं। हाल ही में अंडमान से 90 वर्षीय एक मरीज को लेकर उनका परिवार यहां पहुंचा। मरीज को पिछले 6 महीने से कब्ज और अनियमित मल त्याग की समस्या थी। अंडमान में समुचित इलाज न मिलने पर उन्होंने चेन्नई के अस्पतालों में चक्कर काटे। तब पता चला की बड़ी आंत के आखिरी हिस्से में कैंसर हो गया है। किंतु उनकी बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए ऑपरेशन में गंभीर खतरा बताया गया। परिवार उन्हें लेकर एम्स भोपाल के ट्रॉमा और इमरजैंसी विभाग में पहुंचा। जहां विभाग के प्रमुख डॉ यूनुस ने उन्हें सर्जिकल ऑंकोलॉजी में जल्दी इलाज करवाने की सलाह दी। सर्जिकल ऑंकोलॉजी के डॉक्टर नीलेश श्रीवास्तव ने मरीज को ओपीडी में देखा और सभी जांच करवाने के बाद ऑपरेशन करने का फैसला किया। उन्होंने अपनी टीम के साथ लो एंटीरियर रिसेक्शन जो मलाशय के कैंसर के लिए की जाने वाली एक प्रक्रिया है, के द्वारा मरीज की सर्जरी की। बेहतर रिकवरी होने के बाद केवल 10 दिनों में ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
रेक्टल कैंसर आम तौर पर मध्यम और बढ़ती उम्र के साथ होने वाली एक बीमारी है। बुजुर्गों में इस बीमारी के इलाज में गंभीर खतरा हो सकता है। समय पर समुचित इलाज करवाने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही बढ़ती उम्र सर्जरी में बाधा नहीं बन सकती। इसका इलाज करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह का कहना है कि एम्स भोपाल प्रत्येक मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है ।

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