विभागीय मंत्री विजयवर्गीय करवा रहे हैं आवश्यक संशोधन

मास्टर प्लान का प्रारूप तो अब लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा जारी

इंदौर। मास्टर प्लान में तो अभी और समय लगेगा और लोकसभा चुनाव के बाद ही शासन प्रारूप का प्रकाशन कर सकेगा। फिलहाल तो नए मास्टर प्लान में शामिल 79 गांवों में बीते दो सालों से अनुमतियां ठप पड़ी हैं और सैकड़ों प्रोजेक्ट लटक गए और चुनिंदा को ही अनुमतियां मिल सकीं। अब विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस प्रक्रिया को आसान बनाने में जुटे हैं। पिछले दिनों रियल इस्टेट कारोबारियों की प्रतिनिधि संस्था क्रेडाई के साथ हुई चर्चा में धारा 16 के अलावा टीडीआर, टीओडी सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। हालांकि भोपाल में पदस्थ विवादित अफसरों की रवानगी भी हो गई है।

नगर तथा ग्राम निवेश के तत्कालीन संचालक को पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने हटा दिया, क्योंकि कई तरह की शिकायतें मिल रही थीं, वहीं 46 निगम, मंडल, प्राधिकरण और आयोग के अध्यक्षों को तो घर बैठाया गया, उसके साथ रेरा अध्यक्ष की भी छुट्टी कर दी गई। हालांकि इसको हटाने के सीधे अधिकार भले ही शासन के पास ना हों, मगर अभी तक संशोधित आदेश भी जारी नहीं हुए हैं। दूसरी तरफ इंदौर का जो मास्टर प्लान 2041 के मुताबिक तैयार किया जाना है उसकी प्रक्रिया भी पहले विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा के चलते अटकी पड़ी है। चूंकि अब एक पखवाड़े में ही चुनाव की घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाएगी। लिहाजा मास्टर प्लान का प्रारूप चुनाव सम्पन्न होने के बाद ही जारी होगा, क्योंकि अभी चुनाव के वक्त प्रारुप प्रकाशन के बाद जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाने के आरोप अलग लगेंगे, क्योंकि बढ़ती आबादी और शामिल किए गए निवेश क्षेत्र में कई जमीनों का उपयोग कृषि से आवासीय, वाणिज्यिक व पीएसपी करना पड़ेगा। दूसरी तरफ मास्टर प्लान ना आने के चक्कर में जो 79 गांव निवेश क्षेत्र में शामिल 12 मार्च 2021 को जारी किए थे, उनमें अनुमतियां हासिल करना कॉलोनाइजरों-बिल्डरों को मुश्किलभरा हो गया है। इसकी अनुमति धारा 16 में भोपाल से दी जाती है और चुनिंदा प्रोजेक्ट को ही यह अनुमतियां जुगाड़ के जरिए मिल सकी। पिछले दिनों क्रेडाई प्रतिनिधियों के साथ चर्चा में इन 79 गांवों में अनुमतियों की प्रक्रिया आसान करने की मांग की गई, जिस पर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सहमति जताई और आश्वस्त किया कि धारा 16 के प्रोजेक्टों में मंजूरी के काम में गति आएगी और प्रक्रिया को भी आसान करेंगे। अभी संचालक स्तर पर ही मंजूरी दिए जाने के बाद उसके आदेश इंदौर दफ्तर से जारी होते हैं।

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