मौलाना तौकीर रजा ने कहा, ज्ञानवापी मस्जिद मामले की लड़ाई सड़कों पर लड़ेंगे
लखनऊ
उत्तर प्रदेश में इस समय काशी- मथुरा का मुद्दा गरमाया हुआ है। लगातार कोर्ट में इन दोनों मुद्दों को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। इसी बीच इत्तेहाद- ए- मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा का भड़काऊ बयान सामने आया है। उन्होंने इस पूरे मामले में देश की सरकार को घेरने की कोशिश की है। लोगों के बीच धर्म की खाई चौड़ी करने का आरोप लगाया है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर मौलाना तौकीर रजा ने कहा है कि देश में फूट डालो और राज करो की साजिश चल रही है।
उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी पर हक को लेकर सड़कों पर लड़ाई होगी। मौलाना तौकीर राजा ने मौजूदा सरकार और पिछली सरकार को घेरते हुए कानून व्यवस्था पर सवाल किया। मुसलमानों को लेकर उन्होंने कहा कि हमें मोहताजी नहीं, हिस्सेदारी चाहिए। तौकीर रजा के इस बयान पर राजनीति गरमा सकती है। उन्होंने सीधे तौर पर केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार को निशाने पर लिया है।
मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि अंग्रेजों ने 'फूट डालो और राज करो' वाली नीति अपनाई थी। देश पर राज किया। तौकीर रजा ने विवादित बयान देते हुए कहा कि अंग्रेजों के इस तरीके पर आज काला अंग्रेज देश में हुकूमत कर रहा है। अगर हमने उसके तरीके को पहचान लिया है तो तमाम गरीब, पिछड़ों को एकजुट होना चाहिए।
मौलाना राजा ने कहा कि आज हिंदुस्तान में कानून को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब हुकूमत से फैसले होंगे। जब पुलिस खुलेआम एनकाउंटर करेगी। अदालतों तक जब बात नहीं पहुंचेगी, तो फिर कानून के राज पर सवाल खड़ा होता है। दरअसल, तौकीर रजा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में तकरीर कर रहे थे। इसका वीडियो सामने आने के बाद मामला गरमा गया है।
ज्ञानवापी पर नहीं करेंगे सब्र
तौकीर रजा ने कहा कि आज सवाल कानूनी संस्थाओं की अहमियत पर खड़ा हो रहा है। हम अदालतों की रक्षा के लिए खड़े हैं। हम कानून की हिफाजत के लिए खड़े हैं। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मौलाना तौकीर राजा ने कहा कि हमारी आस्था की भी अहमियत है। हमने बाबरी मस्जिद पर सब्र किया है। ज्ञानवापी पर सब्र नहीं करेंगे। यह लड़ाई सड़कों पर लड़ी जाएगी।
हमारे वकील कोर्ट में इसकी लड़ाई लड़ेंगे। लेकिन, हम मुसलमान सड़कों पर इसको लेकर उतरेंगे। मौलाना राजा ने कहा कि हमारी सत्ता में मोहताजी नहीं चाहिए। हमें हिस्सेदारी चाहिए। हम अपने लोगों का काम खुद करना चाहते हैं। हम तुम्हारे मोहताज नहीं रहना चाहते हैं।
अब नहीं देंगे कोई मस्जिद
मीडिया से बात करते हुए तौकीर रजा ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद हो या मथुरा का शाही ईदगाह, जिसका सर्वे कराना हो करा लें। वे लाखों मस्जिद की लिस्ट लेकर बैठ जाएंगे। इस पर हम नहीं मानने वाले हैं। ज्ञानवापी सर्वे पर मौलाना तौकीर राजा ने कहा कि आपको जितना सर्वे करना है, करा लीजिए। लेकिन, अब इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। धर्म का जो नशा सुंघा दिया गया है, चरस पिलाई जा रही है, यह बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने एक बार फिर कहा कहा कि बाबरी मस्जिद पर हमने सब्र कर लिया। ज्ञानवापी को लेकर चल रही साजिश के खिलाफ सड़कों पर लड़ाई लड़ी जाएगी। अब हम कोई और मस्जिद नहीं देने वाले हैं।
सड़क पर आने वाले हालात बन सकते हैं
यासीन ने यह भी कहा कि मस्जिद को आसानी से तश्तरी में सजा कर तो नहीं देंगे. अब जब इंसाफ नहीं हो रहा है तो सड़क पर आने वाले हालात बन सकते हैं. लेकिन वह कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. अंतिम क्षण और अंतिम सांस तक लड़ेंगे.
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर यासीन ने कहा कि उनके लिए सभी दरवाजे अभी खुले हुए हैं. कमेटी की बैठक के बाद यह निर्णय लिया जाएगा. इसके अलावा यासीन ने बाबरी मस्जिद का फिर से जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उस वक्त भी Places Of Worship Act 1991 के तहत होनी कार्रवाई चाहिए थी. वही काम यहां भी होना चाहिए.
हिंदू पक्ष ने जताई खुशी
वहीं, हाईकोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है. हिंदू पक्ष के पैरोकार और मथुरा केस के वादी सोहनलाल आर्य ने इसे हिंदुओं की जीत बताया है. साथ ही मस्जिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी की तरफ से दिए गए बयान पर कहा कि ऊपर वाला उन्हें सद्बुद्धि दे.
हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका
बता दें कि ज्ञानवापी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टाइटल सूट को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका सहित उनकी पांच याचिकाएं खारिज कर दी हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने वाराणसी की अदालत को 6 महीने में मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है.
दरअसल, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी. इस केस में 8 दिसंबर को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया था.
जिसमें दो याचिकाएं सिविल वाद की पोषणीयता और 3 याचिकाएं ASI सर्वे आदेश के खिलाफ हैं. दो याचिकाओं में 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी. जबकि, तीन याचिकाओं में अदालत के परिसर के सर्वे आदेश को चुनौती दी गई थी.
कोर्ट ने क्या कहा?
मालूम हो कि मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए कहा था कि इस कानून के तहत ज्ञानवापी परिसर में कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है. इस पर कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी के मामले में यह नियम आड़े नहीं आता है.