टेली मानस के जरिए एक साल में फोन पर दी गई 38 हजार लोगों को स्वास्थ्य सलाह,
तीन ऐसे मामले जिसमें टेली मानस बना रक्षक
भोपाल [जनकल्याण मेल] एम्स भोपाल में चल रही टेली मानस सुविधा से एक साल में 38 हजार लोगों को कॉल पर स्वास्थ्य सलाह दी गई। 24 घंटे काम करने वाली यह सुविधा अब तक कई मामलों में जीवन रक्षक के रूप में उभर कर आई है। इस सुविधा का उपयोग करने के लिए व्यक्ति को टेली मानस हेल्पलाइन पर फोन करना होता है। इसके बाद सबसे पहले एक काउंसलर मरीज से बात करता है। इसके बाद मरीज की समस्या के अनुसार कॉल को विशेषज्ञ के लिए ट्रांसफर की जाती है। यदि मरीज को इसके बाद भी राहत ना मिले तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिसमें इन पर्सन सर्विस शामिल है। इसके तहत मरीज को पास के स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल या जिला अस्पताल की जानकारी दी जाती है। इसके साथ मरीज को ई संजीवनी यानि वीडियो कॉल के जरिए डॉक्टर से परामर्श लेने के विकल्प दिए जाते हैं। टेली मानस की सुविधा सबसे अधिक डिप्रेशन के मरीजों ने उपयोग की है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हमें एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम तैयार करने की आवश्यकता है साथ ही इसको लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियो को भी दूर करना होगा। ऐसे कुछ मामले हैं जिससे आपको इस सुविधा की उपयोगिता को समझने में मदद मिलेगी।
-एक दिन टेली-मानस इंदौर पर कॉल आती है, जिसे एक 30 वर्षीय व्यक्ति ने बताया कि वह पिछले 7 वर्षों से मानसिक तनाव से पीड़ित है। जब काउंसलर ने अधिक जानकारी मांगी, तो उसने बताया कि उसको हमेशा ख्याल आता था कि उसके हाथ और शरीर गंदे हैं। बार-बार धोने और साफ करने की जरूरत है। यही नहीं इस तरह के विचार उसे अन्य लोगों के साथ खाने और समय बिताने से रोकते हैं। उन्होंने खुलासा किया कि पहले ऐसा नहीं था, लेकिन जब से वह पारिवारिक समस्याओं के कारण अपने गांव में रहने लगे, गांव वालों के बार-बार बोलने के कारण उनके विचार बदलने लगे। अब यह खयाल इतना परेशान करते हैं कि उन्हें नींद तक नहीं आती है। पारिवारिक झगड़े बढ़ते रहे, इसी बीच परिवार के दबाव में शादी करनी पड़ी, जिसके कारण उनके वैवाहिक जीवन में भी मतभेद है। 7 साल पहले उनका इलाज चल रहा था लेकिन उन्होंने बिना किसी मनोचिकित्सक से सलाह लिए दवा बंद कर दी क्योंकि वह बेहतर महसूस कर रहे थे। उनकी कॉल को मनोचिकित्सक को स्थानांतरित कर दिया गया। मनोचिकित्सक ने मरीज से बात की, मरीज की स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन किया और उसे टियर 2 स्थानीय अस्पताल में रेफर कर दिया। जिसके बाद मरीज अस्पताल गया और चिकित्सकीय परामर्श के बाद दवाओं में बदलाव किया, जिससे उसकी स्थिति में सुधार हुआ, आगे मरीज को उसकी बीमारी की प्रकृति, नियमित उपचार और दवा के महत्व और लाभों के बारे में जानकारी दी गई। एक दिन फॉलो-अप पर मरीज ने धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि टीएमसी काउंसलर द्वारा दी गई जानकारी और सुझावों से उन्हें मदद मिली।
-17 वर्षीय युवा को बार-बार विचार आना, अधिक सोचना, मूड में उदासी, गतिविधियों में रुचि कम होना, पिछले 8 साल से अनियमित अनुपालन की शिकायतें थीं और उसकी 12वी की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ रही थीं। जिससे वह अधिक तनावग्रस्त और भविष्य को लेकर चिंतित था। काउंसलर ने उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और अपनी भावनाओं को बाहर निकालने के लिए प्रोत्साहित किया। जो उसे लंबे समय से परेशान कर रहे थे। इसके अलावा उनके परिवार के सदस्यों (पिता) की उपस्थिति के साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई। इसके अलावा रोगी और देखभाल करने वालों को दवा के पालन, नींद, दिनचर्या को सुधारा गया। साथ ही संतुलित आहार, उचित आराम और नियमित व्यायाम के सुझाव दिए गए।इसके बाद उसे टियर 2 के लिए रेफर किया गया। फॉलो-अप कॉल पर मरीज ने बताया कि वह मानसिक अस्पताल इंदौर गया था। टेली मानस काउंसलर द्वारा दी गई सलाह का पालन करते हुए इलाज भी शुरू कर दिया है।
– एक बहुत चिंतित मां ने फोन किया। वह अपने बेटे की हालत को लेकर बहुत तनाव में थी। 5 साल के बेटे को ढाई साल से मिर्गी की बीमारी थी। उन्होंने बताया कि बच्चे की हालत पहले बेहतर हो गई थी। अब कुछ अन्य लक्षणों के साथ फिर से हालत बेकाबू हो गई है। अन्य अतिरिक्त लक्षणों के बारे में पूछने पर, उन्होंने बताया कि उनका बेटा बहुत अधिक सक्रिय हो गया है। वह किसी की बात नहीं सुनता है, वह अब बहुत असावधान है और एक काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। वह बहुत चिंतित थी क्योंकि पहले दौरे पड़ने से पहले उसके बेटे को बहुत तेज बुखार होता था और फिर दौरे पड़ते थे। यही नहीं बेटा सूरज को एकटक देखता रहता है। फिर अचानक गतिहीन हो जाता है। अपने पास रखी कोई भी चीज़ गिरा देता है। काउंसलर ने मनो शिक्षण दिया और उसे आश्वासन दिया कि यह एक इलाज योग्य स्थिति है। महिला की सराहना की गई, क्योंकि उसने अपने बेटे की स्थिति के बारे में हर छोटी-छोटी जानकारी पर ध्यान दिया। उसे ग्वालियर में टीएमसी मनोचिकित्सक के पास भेजा, जिन्होंने उसे आगे सुझाव दिया कि व्यवहार संबंधी लक्षणों के साथ यह मिर्गी हो सकती है। उसे आगे के मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए निकटतम मन कक्ष या निकटतम मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी गई। फॉलोअप के दोरान महिला ने बताया कि वह अपने बेटे को मेडिकल कॉलेज में चेकअप के लिए ले गई थी। उसका बेटा अब बेहतर है।
एम्स भोपाल के प्रोफेसर डॉ. विजेंदर सिंह ने बताया, टेली-मानस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपचार के विशाल अंतर (वर्तमान में 70-80%) को कम करना है । मध्य प्रदेश राज्य में दो टेली-मानस सेल इंदौर और ग्वालियर में स्थित है । टीएमसी भावनात्मक संकट और मनोवैज्ञानिक भलाई के लिए मुफ्त टेलीफोनिक परामर्श सेवाएं प्रदान करती है । ये टेली-मानस सेल (टीएमसी) प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा संचालित होते हैं और मनोचिकित्सकों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम द्वारा पर्यवेक्षण किया जाता है ।