दस दिन में होगी इंडिया गठबंधन की अगली बैठक, सीट शेयरिंग है एजेंडा
नई दिल्ली
इंडिया गठबंधन की अगली बैठक को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। जानकारी के मुताबिक विपक्षी दलों के इस गठबंधन की बैठक अगले दस दिनों में हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस बार यह बैठक दिल्ली में होगी, जहां विपक्ष के सभी बड़े नेता जुटेंगे। यह भी बताया गया है कि इस दौरान शीट शेयरिंग का फॉर्मूला सबसे बड़ा एजेंडा होगा। गौरतलब है कि तीन राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि इसके चलते वह शीट शेयरिंग में निगोसिएशन में भी नुकसान उठा सकती है। हाल ही में आए चुनाव परिणामों में जहां कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी। वहीं, मध्य प्रदेश में भी वह कोई चमत्कार करने में असफल रही।
चुनाव के बाद टल गई थी बैठक
इंडिया गठबंधन की बैठक पिछले हफ्ते ही होने वाली थी। लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद यह टल गई थी। असल में उस वक्त अखिलेश यादव से लेकर नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने इस बैठक में शामिल होने पर असमर्थतता जता दी थी। इसके बाद विपक्ष के बीच मतभेद की भी सुगबुगाहट उठने लगी थी। हालांकि अब बैठक के बारे में आ रही ताजा जानकारी से पता चलता है कि मुद्दों पर काम किया गया है। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और अखिलेश यादव के बीच हुए मतभेद को भी दूर करने की कोशिश की गई है।
उठते रहे हैं सवाल
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने के मकसद से विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया है। हालांकि क्षेत्रीय दलों की मांग रही है कि उन्हें अपने दबदबे वाले क्षेत्रों में अधिक सीटें दी जाएं। इस मांग को लेकर गठबंधन के अंदर कुछ सवाल भी उठते रहे हैं। अखिलेश यादव का भी पूर्व में कांग्रेस से मतभेद रहा है। यहां तक कि मध्य प्रदेश में शीट शेयरिंग की बातचीत नाकाम रहने पर उन्होंने कांग्रेस के ऊपर सवाल भी उठाए थे। वहीं, तीन राज्यों में कांग्रेस की नाकामी पर सहयोगी दलों की तरफ से भी टीका-टिप्पणी की गई थी और विश्वसनीय चेहरे की मांग की गई थी।
कांग्रेस की सेहत पर असर?
आगामी बैठक में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बातचीत क्या रंग लाएगी, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस अब अधिक सीटों के लिए दबाव नहीं बना पाएगी। हिमाचल और कर्नाटक चुनावों के बाद और फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस की जैसी हवा बनी थी, उसका असर अब ना के बराबर रह गया है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बदले हुए हालात में कांग्रेस चीजों का मुकाबला कैसे करती है।